भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
न दुःख न सुख / आनंद कुमार द्विवेदी
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:03, 18 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आनंद कुमार द्विवेदी |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
पलटता है जब भी वो
मेरी तरफ
उस राह पर पहले से ही बिछी हुई मेरी आँखें
झट से बरस पड़ती हैं
दुःख से नहीं
ख़ुशी से भी नहीं
केवल इसलिए कि राह पर धूल न उड़े
मुलायम हो जाए वो कच्ची पगडण्डी
जो राजमार्गों से बहुत दूर
मेरी दुनिया में उतरती है
जिस पर अब कोई
भूल से भी पाँव नहीं रखता !