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इसलिये हो राधा / मुकेश नेमा

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राधा हो तुम!
हो इसलिये
सुना नहीं मैंने
शब्द मीठा
इससे कभी!

पूर्णता, सफलता,
संपदा, मोक्ष भी
पर्याय राधा नाम के
यही बस चाहना
सब मिले तुम्हें!

और फिर ये अनुपम
आराध्या कृष्ण की
शासित हों जिससे
सम्पूर्ण पुरूष स्वयं

थे यही कारण
पर्याप्त जो लगे मुझे
इसीलिये थी नामित
आने से पहले तुम