भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दोस्तारी / नवीन ठाकुर ‘संधि’
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:17, 22 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवीन ठाकुर 'संधि' |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आबोॅ बिलैया हमरोॅ पास,
दुयोॅ रहबै एकेॅ साथ।
हम्में मूसोॅ तोहेॅ बिलाय,
दोस्ती करबै हाथ मिलाय।
हम्में देबोॅ रस्ता बताय,
तोहें चलबेॅ थुबुड़थाय।
केकरोॅ नै करबै दुहूँ आश।
घरोॅ भीतरोॅ में घोर बनैबै,
दोसरा रोॅ ओन चोरायकेॅ खैबेॅ।
देखतैं हम्में बिली तोहेॅ धरनी पेॅ जैबे,
दुन्हूँ मिली के समय बितैवेॅ
"संधि" संधि करी करतै बास।