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बटोही / नवीन ठाकुर ‘संधि’

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आबोॅ बटोही बैठी लेॅ,
थकी गेल्हेॅ तेॅ सुती लेॅ।

है छिकै सरकारी मकान,
जगह-जगह पेॅ देलोॅ छै दान।
एकरा में जोरै छै मवेशी राम-राम,
कोय नै दै छै एकरा पेॅ ध्यान।
भूख लागतौं तेॅ देब्भौं रोटी लेॅ।

सरकारी चीजोॅ रोॅ कहाँ हिफाजत,
एकरा में छै सरकारी लागत।
मरम्मति रोॅ दै छै ठिकेदारोॅ केॅ दावत,
दोहरी माल लूटतै कथिरोॅ आफत।
मिली जुली केॅ "संधि" लुटी लेॅ।