भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मिलन सीमा / अशोक शुभदर्शी

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:30, 23 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक शुभदर्शी |अनुवादक= |संग्रह=ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हम्मेॅ लौटी एलिहौं
तोरा सें मिललेॅ बिना ही
कतनां दाफी
जाय केॅ तोरोॅ ठियां

लागै छै
लौटी जैवै
आबकियोॅ बेरियां
तोरा सें मिललेॅ बिना ही
आबी केॅ तोरोॅ पास

हम्में आपनोॅ सीमा में रही जाय छियै
हर दाफी
तोरा पास जाय केॅ भी

हम्में सीमा तोड़ै लेॅ
नै पारै छियै आपनोॅ
आरोॅ मिलै लेॅ भी चाहै छियै
तोरा सें ।