भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बीच जमुनमा हे कोसी माय / अंगिका

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:13, 23 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=अंगिका }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बीच जमुनमा हे कोसी माय
कदम के गाछ हे
ओहि चाढ़ि कोसी पारे हाक हे
कहाँ गेलै किए भेलो झिमला मल्लाह रे
जल्दी से उतारें पार रे
टूटलियो नइया हे कोसी माय
टूटल करूवारि हे
कौन विधि उतारब पार हे
जोड़ि लेबेइ नइया रे झिमला
जोड़ब करूवारि रे,
हिंगुर ढोरब दुनू मांगि रे
खने-खने खेबै रे मलहा,
खने भसियाबे रे
खने मांगे घटवारि रे
एहि पार देबौ रे झिमला
पाकल बीड़ा पान रे
ओहि पार गला गिरमल हार रे ।