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आजादी / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
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आय
आजादी के दिन छेकै
सब खुश छै-
खुश रहना भी चाहियोॅ
आय रोॅ दिन
ई देश गुलामी के अन्हरिया सें
बाहर होलोॅ छेलै
लेकिन की अन्हरिया सें
निकलला के बाद भी
हेकरोॅ नींद
टूटेॅ पारलोॅ छै ?
नै, सच्चे में नै
आजादी के जे माने होय छै
ऊ केकरौह-केकरौह छोड़ी केॅ
केकरा-केकरा मिललोॅ छै
भूख/प्यास/बिमारी
लूट-खसोट/बेकारी
जानेॅ कहिया ई सब
खतम होतै
बेवस्था चुप छै-
जेना रेनू के
लम्बा बेहोशी रहेॅ
आरो हमरोॅ देश के जनतंत्र
राजकमल के
पेट होय गेलोॅ छै ।