भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

युग का यह वातायन / बलबीर सिंह 'रंग'

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:32, 23 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बलबीर सिंह 'रंग' |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

युग का यह वातायन।

दर्पण से ढका हुआ
बालू पर टिका हुआ
जीवन-पर्यन्त आग-पानी का पारायण।
युग का यह वातायन।

अनुबंधित गरिमाऐं
आतंकित प्रतिभाऐं
कर्म भूमि गीता, किन्तु जन्म भूमि रामायण।
युग का यह वातायन।

गति-निरपेक्ष मलय
अथवा सापेक्ष प्रलय
जन-मन-गण उत्पीड़न नारायण नारायण।
युग का यह वातायन।