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तुम्हीं याद आए भुलाने से पहिले / बलबीर सिंह 'रंग'

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तुम्हीं याद आए भुलाने से पहिले,
भुलाने से क्या भूल जाने से पहिले।

फ़लक़ की निगाहें ठहरती नहीं हैं,
यह क्या कर दिया मुस्कराने से पहिले।

वहाँ आती जाती रही सारी दुनिया,
मगर हम न पहुँचे बुलाने से पहिले।

जहाँ ग़म के मारों की महफ़िल लगी हो,
वहाँ बंदा हाज़िर बुलाने से पहिले।

अनादिल की बदकिस्मती कोई देखे,
क़फस मिल गया आशियाने से पहिले।

ये साक़ी की दरियादिली तोबा तोबा,
सुराही उलट दी पिलाने से पहिले।

न होती शिकायत हमें तुमसे लेकिन,
मोहब्बत हुई आज़माने से पहिले।

इसे ‘रंग’ कब मानने हैं तरन्नुम,
ग़ज़ल गुनगुना दी सुनाने से पहिले।