भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सारा जीवन गँवाया तुम्हारे लिये / बलबीर सिंह 'रंग'
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:47, 23 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बलबीर सिंह 'रंग' |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
सारा जीवन गँवाया तुम्हारे लिये,
तुमको अपना बनाया तुम्हारे लिये।
भेंट कर तुमको गीतों की भागीरथी,
आँसुओं में नहाया तुम्हारे लिये।
धूलिकण जड़ दिये व्योम के भाल पर,
स्वर्ग धरती पे लाया तुम्हारे लिये।
दर्द की दिल में दुनिया बसाये हुये,
उम्र भर मुस्कराया तुम्हारे लिये।
चाहे मानो न मानेा तुम्हारी खुशी,
‘रंग’ महफ़िल में आया तुम्हारे लिये।