भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक पेंच गिरता है ज़मीन पर / जू लिझी / सिमरन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:17, 26 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जू लिझी |अनुवादक=सिमरन |संग्रह= }} {{...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
एक पेंच गिरता है ज़मीन पर
ओवरटाइम की इस रात में
सीधा ज़मीन की ओर,
रोशनी छिटकता
यह किसी का ध्यान आकर्षित नहीं करेगा
ठीक पिछली बार की तरह
जब ऐसी ही एक रात में
एक आदमी गिरा था ज़मीन पर
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिमरन