भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खद्दर में खटमल / इंदिरा व्यास
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:36, 27 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इंदिरा व्यास |अनुवादक= |संग्रह=था...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
खद्दर में खटमल
गदर मचावै
देस नै खावै
ताबै किणीं रै
कदैई नीं आवै
आं री बंसबेल
बधती जावै
बधती जावै
बोटां री कळ सूं निकळै
कळ में ई मर जावै
पण आं नै मारण
आगै कोई नीं आवै।