जन्म है पहला चरण / गिरधारी सिंह गहलोत
जन्म है पहला चरण फिर मौत है अंतिम चरण
आत्मा की देह बदली मात्र है जीवन मरण
ये अजर है और अमर भी कह गए पुण्यात्मा
लोग कुछ कहते हैं मरती साथ तन के आत्मा
पर कभी भी आत्मा का है नहीं होता क्षरण
आत्मा की देह बदली मात्र है जीवन मरण
पकड़कर बैठा हुआ है जिंदगी की सूतली
नाचते रहते इशारों पर बने कठपूतली
हरि की इच्छा से ही होता है पुनः भू अवतरण
आत्मा की देह बदली मात्र है जीवन मरण
श्रेष्ठ मानव के लिए है मांग ले उसकी शरण
हो सके सम्भव हमेशा के लिए भव से तरण
एक पथ केवल बचा है जल्द कर इसका वरण
आत्मा की देह बदली मात्र है जीवन मरण
साथ क्या आया है लेके साथ क्या जाता कभी
मोह के बंधन है सारे छोड़ कर जाते सभी
दो पलों में ईश कर लेता यहाँ सब कुछ हरण
आत्मा की देह बदली मात्र है जीवन मरण