Last modified on 28 जून 2017, at 15:43

घर मांय अकाळ / मधु आचार्य 'आशावादी'

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:43, 28 जून 2017 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बाप रै सागै
घर मांय रैवता तीन भाई
साथै रैवता सगळां रा
टाबर अर लुगाई
घणो हेत
लोगां साम्हीं जतावता
घर मांय रमता हा राम
स्वास्थ री बात
उणां पीढया हुयगी
हेत तो उण घर रै
कण-कण मांय मिलसी।
पण उण दिन
बाबोसा नै सौ बरस हुयग्या
इयां लाग्यो
जाणै सगळां रा माईत
अेकै सागै मारग्या।
घर मांय मचग्यो घमसाण
सगळां रै लागगी लाव-लाव
किणनै किŸाो मिलसी
हरेक रै मुंडै माथै
फगत ओ इज सवाल
इण झौड़ पछै
घर मांय पड़गी भींतां
सगळा हुयग्या न्यारा-न्यारा
बस आप-आप रा
लागण लाग्या प्यारा।
घर रो राम रूसग्यो
इणी खातर उण घर मांय
हेत रो
खुसी रो
अकाळ पड़ग्यो।