भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जड़ : पांच / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:37, 28 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’ |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
रूंख री तो है
है पण कठै
जड़ मिनख री
कुण जाणैं।
रूंख तो ऊभो है
आपरी जड़ां माथै
राखै आण
साम्भै पिछाण
गमै क्यूं
मिनख री पिछाण
उथळो जड़ां में है
लाध ई जावै
सोधण जे उतरै
ऊंडो खुद में कोई!