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बोल री मछली, कित्ता पानी! / कन्हैयालाल मत्त
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(कई स्वर)
डुबक-डुबक, लहरों की रानी!
बोल री मछली, कित्ता पानी!
(एक स्वर)
गहरे-गहरे सात समंदर,
सौ-सौ गड्ढे जिनके अंदर,
जिनका ओर न छोर देखकर,
घबरा गए राम के बंदर!
समझ गए तुम कितना पानी?
इत्ता पानी! इत्ता पानी!!
(कई स्वर)
अभी रही कुछ बात बतानी,
बोल री मछली, कित्ता पानी
(एक स्वर)
उत्तर पानी, दक्खिन पानी,
पूरब-पच्छिम पानी-पानी,
अगली-बगली, आगे-पीछे,
ऊपर-नीचे यही कहानी!
समझ गए तुम, कित्ता पानी?
इत्ता पानी! इत्ता पानी!!