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अबोध का बोध पाठ / लावण्या शाह
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हैं छोटे छोटे हाथ मेरे,
छोटे छोटे पाँव।
नन्हीं नन्हीं आँखे मेरी
नन्हें नन्हें कान।
फिर भी हरदम चलता हूँ
हाथों से करता काम।
रोज देखता सुंदर सपना
सुनता सुंदर गान।
ऐ बडों हमारी सुनो प्रार्थना
तुम भी बच्चे बन जाओ।
छोडों झगडे और लडाई
अच्छे बच्चे बन जाओ।