भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सुवाल / दुष्यन्त जोशी
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:18, 29 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दुष्यन्त जोशी |अनुवादक= |संग्रह=अ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मिनख नै
बात करण नै
टैम नीं है आज
मिनख कांईं चावै
मिनख
आपरै जमीर नै बेच'र
कांईं बणनौ चावै
म्हारै मन में
घणांईं उठै सुवाल
पण
बां रै
पड़ूत्तर सारू
सोधतौ रैवूं
खुद नै
भीतर ई भीतर।