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मन करता / योगेन्द्र दत्त शर्मा

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मन करता-
पंख लगें
और उड़ें हम!

हम विमान बनकर
यह आसमान नापें,
साहस की कहानियाँ
जल-थल पर छापें।

बाहर की
दुनिया से
तनिक जुड़े हम!

चंदा से बतियाएँ
तारों से खेलें,
सूरज के गुस्से को
हँस-हँसकर झेलें।

फिर अपनी
दुनिया की
ओर मुड़ें हम!

कितना लंबा-चौड़ा
जग का फैलाव है,
सैर-सपाटा कर लें
हमको भी चाव है।

इस छोटी
दुनिया में
क्यों सिकुड़ें हम!