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कांगडा युद्ध / मौलाराम तोमर
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कांगडा युद्ध
( सं. १८६६-६७ तिर)
लड्यो काँगडा शत्रु सिहार्यो-
रुद्रवीर तब चौतारा दीने सिघ्र पठाय ।
दलभंजन काजी सहित चले काँगडा धाय ।।
X X X
गई खबर न्पाल वह, कांतीपुर दरबार ।
नैनसिह काजी गिर्योल, करी खूब तरबार ।।
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रुद्रबीर चौतारिया आये ।
वरभंजन संगमा ही पठाये ।।
लियो कांगडा तिनहुँ घिराई ।
चहूँ तरफ फौज ति पिलाई ।।
फिरै तिलंगा चहुँचरफ, आठों जाम अथाह ।
देखि पंखि संसारकौ, भयो महाभय त्रास ।।
(“गीर्वाणयुद्धप्रकाश“ बाट उद्धृतांश )
‘ वीरकालीन कविता‘ बाट साभार