भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मतलब ही जुदा हो जाएगा / विजय वाते

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बात उलझेगी टू मतलब ही जुदा हो जाएगा|
साफ़ सुथरा शब्द धुलकर आईना हो जाएगा|

सच की राहों में हजारों मुश्किलें भी आएँगी,
और ख़ुद से हौद का साया भी जुदा हो जाएगा|

चाबियों वाले खिलौने, रेत के घर लोरियाँ,
सरे रिश्ते भूल कर वो कल बड़ा हो जाएगा|

दो कदम हम भी बढेंगे तुम चलो जो दो कदम,
या तो हम मिल जाएंगे या फैसला हो जाएगा|

दिल से निकले वह तो आँखे भी चमकेंगी "विजय"
तालियों का शेर वरना बेमज़ा हो जाएगा|