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काँचहि बांस केरोॅ गहबर / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

काँचहि बांस केरोॅ गहबर
आहे सोबरन लागल केबाड़
ताहिमें सें निकलै सुरुजमनि
आहे कोने दाइ उखम डोलाय
अरध के बेर भेलै हे
भिनसर के पहर मंे डोमिन बेटी हे
बेटी धनी दउरिया लेॅ आव
अरध के बेर भेलै हे
बेटी पियरे कनसुपती ले आव
पुरुष रंथी ठाड़ भेलै हे
भिनसर के पहर में बनिआइम बेटी हे
बेटी धनी सुपारी लै आव
अरध के बेर भेलै हे
भिनसर के पहर में तोहंे मालिन बेटी हे
बेटी धनी सतरंगा फूल-हार लै आव
अरध के बेर भेलै हे
भिनसर के पहर में तोहें ब्राह्मण देव हे
ब्राह्मण पियरे रंग जनउआ लै आव अरध के बेर भेलै हे।