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वाद के लक्षण / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'

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आदर्शवाद रे बौना कुबड़ा
जातिवाद लहरावै छै
भौतिकवाद सरें मड़रावै
हालाहौ हुलियाबै छै।

पूँजीवाद झंडा उड़ावै
समाजवाद घबरावै छै
भौतिकवाद हाड़ लै दौड़ै
रहस्यवाद समझावै छै।

छायावाद के बाल पकलै
प्रकृतिवाद बतियाबै छै
प्रगतिवाद लूटै-चूसै छै
साम्यवाद फुसलावै छै।

मिथ्यावाद के पलड़ा भारी
कुर्सी पर लहरावै छै
मायावाद के परचा भारी
अपन्है सब कुछ खावै छै

विश्वशांति के शिखर वार्ता
की रंग रूप सजावै छै
विश्व-मैत्री के, के रे दोषी
कैन्हें आग लगावै छै।