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आजादी के उपयोग / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'

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आजादी के जशन मनावै
खूब्बे पेट बढ़ावै छै
एक दोसरा के रोटी पर
रोजे आँख गड़ावै छै।

जन्नें-देखऽ नेता-लीडर
खूब्बे रोज लड़ावै छै
छीना-झपटी खूब करै छै
रोजे रोग बढ़ावै छै।

जादू-मंतर फूंक मारी केॅ
केकरा नै भेंड़ बनावै छै
झाड़ी-फूकी भूत भगावै
प्रजातंत्र कहलावै छै।

हरदम मांगै हड़िया-बर्त्तन
चौक्हें दोष लगावै छै
घाट सम्भै के एके लागै
जीते दोष लगावै छै।

राशन पर भाषण अजमावै
टुटले साज बजावै छै
लूटी-लूटी माल खजाना
अपने महल बनावै छै।

रंग बदलू कोय दल बदलू छै
गिरगिट रंग लगावै छै
केकरा कोखें के रे जनमतै
की रंग नाम धरावै छै।

नसें-नसें धोखे-धोखा
मन्हें जाल बिछावै छै
कोय गिरै कोइये पछड़ै छै
कोइये शान बघारै छै।

बौन पिटारी जादू जानै
गदहा रोज बनावै छै
ई आजादी के खुशियाली
कूटी रोज मनावै छै।