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गैया केॅ परेशानी / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'

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कत्तेॅ दिन गैया बिसखैलोॅ
रहतै चुकिया हेन्हें सोन्हैलोॅ॥

अन्न खिलैलोॅ लगलै घाटा
ई गँधा तेॅ मारै चाटा
बिरथा भेलै गुनी बोलैलोॅ॥

पानी दहैलै सभे इलाज
ठीक न´् भेलै गैया-मिजाज
काम नै ऐलै एक्को छानलोॅ॥

जानलौं न´् बिचबै केॅ चक्कर
आदमी होवै ऐन्हों फक्कड़
भूली गेलौ सबटा कानलोॅ॥

ई गैया सँ ऐलौं बाज
छानो-पगहा नैहें लाज
बिरथा भेलै, नेह लगैलोॅ॥

गैया कॅ नै लागै दाम
दुरदुराय केॅ करै सलाम
चारों दिसि सँ मरणों भेलोॅ॥

घरोॅ में होब रोजे रगड़ा
गैया आय लगैलकै झगड़ा
उठा-पटक में ‘मथुरा’ सोचै
भरलोॅ हमरोॅ घोॅर उजरलोॅ॥