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हम्में की व्यभिचारी छेकाँ / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'

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हम्में की व्यभिचारी छेकाँ
हम्में तेॅ अधिकारी छेकाँ॥
धन घोटै छी, अमृत पियै छी
कत्तेॅ गिनभोॅ की न करै छी
जेबकतरा तेॅ भारी छेकाँ

रोजे खूब करै छी चोरी
राहजनी आरोॅ घुसखोरी
सूदोॅ रोॅ व्यापारी छेकाँ॥

पकड़ी-पकड़ी जभ्भेॅ करै छी
जाला में सबकेॅ घेरै छी
जानै छोॅ न बिहारी छेकाँ!

हम्में तेॅ केकर्हो न सुनै छी
अपना आगू कुछु न गुनै छी
हम्में की दरबारी छेकाँ
हम्में तेॅ अधिकारी छेकाँ।