भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पत्ता केॅ दोष / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:49, 10 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
रे पत्ता तों उड़ै छै कैन्हें
ओझरोॅ-बिच्छोॅ पड़ै छँ कैन्हें?
जत्ते उड़बे, तत्तेॅ उड़ैती
कभू सुखैती, कभू सड़ैतो
जलधारोॅ में बहै छँ कैन्हें?
कखनू माथा पर, कखनू गोडोॅ तर
कखनू दुआरी, कखनू छपरोॅ पर
ई रंगोॅ में रंगै छँ कैन्हें?
कत्तेॅ दिन करबे ढेला सें दोस्ती
एक दिन दोनां में होती कुश्ती
अन्धड़-पानी बचबे कन्ने?
ढेर उड़बे तेॅ लागतौ मिरगी
देहोॅ केॅ नै लेतौ गिरबी
‘मथुरा’ फनोॅ में फंसै छँ कैन्हें?
रे पत्ता तों उड़ै छँ कैन्हें?