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गोट गोट तारा / सुभाष भ्रमर

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गोट-गोट तारा, रात चांदनी, कली हँसै छै बेली के
फूल-फूल में चर्चा होय छै, उड़लै गन्ध चमेली के
दिप-दिप उजरी, कोमल पतरी
हरी चुनरिया मलमल के
रात-रात भर जगली सजली
ओस के अंगिया मखमल के
कमल कली लै छै अँगड़ाई
खोता में जगलो बुलबुल छै
आम गाछ पर कोयल जगलो
तितली जगली बुलबुल छै

सब आपस में बतियाबै छै, पीछा करॅ सहेली के!
फूल-फूल में चर्चा होय छै, उड़लै गन्ध चमेली के!
गेली पगला गली मोड़ पर
राहगीर सें टकरैली
भौंरा भेटलै वही अचानक
आंख झुकाय क शरमैली,

बार-बार सरकै छै अँचरा बिलकुल नयी नवेली के!
फूल-फूल में चर्चा होय छै, उड़लै गन्ध चमेली के!