भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शर्त / राजेश शर्मा ‘बेक़दरा’
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:54, 28 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश शर्मा 'बेक़दरा' |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
यह देह,
साक्षी है,
त्याग क़ी,
इंतज़ार क़ी...
तुम पढ़ना,
ज़रूर पढ़ना,
पढ़ पाओ तो,
पढ़ ही लोगे,
यदि प्रेम है...