भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इज़्ज़तपुरम्-55 / डी. एम. मिश्र

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:10, 18 सितम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=इज़्ज़तपुरम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अँधेरे में ऊँचे
सम्बोधनों से लद जायें
पनाले जैसे जिस्म

हमाम में धुले
नथुने
न भींगे यहाँ
पर-स्वेद में

गंदे अधर हों
पवित्र हर की पौड़ी

जाने जिगर
जानेमन
मेरीजान
दोगले
बेजान
शब्दनामा छोड़कर
निज नारियों का देह
लार टपकाते
आ फाट पड़ते हैं
अंधे कुएँ में