भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इज़्ज़तपुरम्-52 / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:12, 18 सितम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=इज़्ज़तपुरम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बिल्कुल
है नया माल
अभागिन
बेचकर रेवड़ियाँ
भरती थी पेट
पॉच हजार में
लिया पटा
उन दरिन्दों को
उड़ा लिया थे
जो उसे ट्रेन से
‘गुलाबबाई़’
उसका रखा है नाम
अम्मी ने बताया
बहराइची के बापू को
गुलाबी कयामत से
ठंडी सड़क
होगी फिर
गरमागरम और ताजा