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शोक सभा का आयोजन है / मनोज जैन 'मधुर'
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शोक सभा का आयोजन है
सब कहते हैं
हम बोलेंगे।
आँखों में घड़ियाली आँसू
कोयल -सी तानें
बोली में।
दिखें आचरण मर्यादा में
घातें ही घातें
झोली में।
हवा जिधर बहकर
जायेगी हम भी उसके
संग हो लेंगे।
ऊपर शहद चढ़ाकर
सबने भीतर से
कड़वाहट बाँटी।
जिससे जितनी बनी
जनम भर
बढ़चढ़ कर जड़ काटी।
चाम सरीखे मढ़े ढोल पर
पोल नहीं
अपनी खोलेंगे।
जीवन को शर्तों में बाँधा
मरने पर सौंपेंगे
अम्बर।
बकुल वृत्ति को ढाँके तन में
दीख रहे हैं
सब पैगम्बर।
न्याय तुला पर निजता
अपनी कभी नहीं
अपनी तौलेंगे।