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पीर की सौगात / प्रीति समकित सुराना
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मिल न पाया साथ तेरा गम मुझे इस बात का है,
दिल न सह पाया जुदाई मामला जज़बात का है,
चार पल ही साथ बीते चार ही बातें हुई है
काफिला अब साथ अपने याद की बारात का है,
बात ये मालूम ना है कौन जीता कौन हारा,
जानती हूँ बस यही ये माजरा शह मात का है...
हाँ चलो अच्छा हुआ जो फैसला हो ही गया है,
आजकल मौसम जरा सा पीर की सौगात का है...
दोष तेरा भी नही था दोष मेरा भी नही है,
चाह कर भी ना मिले हम दोष तो हालात का है,...