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रात बीते हम न होंगे / कुमार रवींद्र

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हम न होंगे
तो हुआ क्या
ये हमारे गीत तो होंगे
 
फूल होने की कथा
हमने कही है
वह रहेगी
नदी सिरजी नेह की
वह भी बहेगी
 
हम न होंगे
ये हमारे गीत गाते
मीत तो होंगे
 
चाँदनी की सेज होगी
या कि
तारों-भरी पूरी रात होगी
पीर भी ज़िंदा रहेगी
जोकि हमने साथ भोगी
 
हम न होंगे
ये हवाओं के
मधुर संगीत तो होंगे
 
याद में डूबी-हुई
मधुमास की साँसें रहेंगी
वे हमारे संग की
ऋतुराज-गाथाएँ कहेंगी
 
हम न होंगे
पर हमारे
स्वप्न ये मनचीत तो होंगे