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राम-लीला गान / 10 / भिखारी ठाकुर

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जनक-फुलवारी में

प्रसंग:

जनक की फुलवारी में घूमते श्रीराम-लक्ष्मण पर जब सीताजी की दृष्टि गई, तो उन्होंने सखियों का साथ छोड़कर राम को प्रेमपूर्वक निहारा और मन-ही-मन अपना पति स्वीकार किया।

सखियत के संघत छोड़ि के, निरखत राजकुमार।
स्यामल-गौर धनुस कर सोहत, गरदन में मनिन के हार। सखियन के संघत छोड़ि के...
क्रीट-मुकुट केस घूँघुर वारे, भाल में तिलक टहकार। सखियन के संघत छोड़ि के...
लवटि गई पुनि निज दल माँहीं, तन के रहत सँभार। सखियन के संघत छोड़ि के...
सोभाधाम मनहीं-मन सोचत, कहँवाँ के हउअन जोड़ीदार। सखियन के संघत छोड़ि के...
दास ‘भिखारी’ चरन सिर नावत, गावत मति अनुसार। सखियन के संघत छोड़ि के...