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राम-लीला गान / 29 / भिखारी ठाकुर

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चुमावन

प्रसंग:

विवाह के बाद चुमावन। समय सरहज के मजाक करने का वर्णन।

दुलहा-दुलहिन के बा चढ़ती जवानी; सुनऽ हो, आँगन सोभत अबहीं खानी। सुनऽ हो...
चुमावन करत सरहज मुसुकानी; सुनऽ हो, तोहरा जोगे हम बानी। सुनऽ हो...
कोहबर में चलबऽ जब दूनों परान; सुनऽ हो, नेगी दुआरी पर ठानी। सुनऽ हो...
कहत ‘भिखारी’ लिखे के ना जानी; सुनऽ हो, राखऽ बिहारीजी पानी। सुनऽ हो...