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राम-लीला गान / 33 / भिखारी ठाकुर

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प्रसंग:

बारात के जेवनहार लोगों के लिए गारी गीत का गायन।

होत बाटे महलिया में गारी।
सुनहु विनय भोजन करनिहारी, भेजिहऽ अजोधेया से नारी।
मिथिला बाजार में बा मान करनिहारी, सँढ़ी, सोनार, बैपारी। होत बाटे...
भीतर से पुलुकत सब गवनिहारी, हँसत गव-निहारी। होत बाटे...
देखिहऽ चोरावऽ मत पूरी-तरकारी, नाहीं त करब लहंगा-झारी। होत बाटे...
मने मन खुशी होत कहत ‘भिखारी’, समधी सहित सुत चारी। होत बाटे...