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राम-लीला गान / 36 / भिखारी ठाकुर

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प्रसंग:

मिथिला की युवतियों की सीतापति राम से होली-खेलने की योजना का वर्णन।

होरी खेलऽ गोरी बरजोरी रघुबर से। हमनी का भागे अइलन अवध नगर से॥टेक।
साँवली सूरत देखि लागल मन तरसे। साजि के सिंगार सब चलऽ घर-पर से॥ होरी खेलऽ...
जामा, पैजामा, टोपी बोथे के इतर से। सूखल गुलाल लेके गाल छुअऽ कर से॥ होरी खेलऽ..
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हाथ फिचकारी धरि हटे के ना डर से। फगुआ बितावऽ आज जानकी का बर से। होरी खेलऽ...
कहत ‘भिखारी’ बतिआवे के कदर से। चरन कमल-भरि देखे के नजर से॥ होरी खेलऽ...