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भजन-कीर्तन: कृष्ण / 8 / भिखारी ठाकुर
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प्रसंग:
कृष्ण-अवतार पर हर्ष तथा पूजन।
बबुआ जनमलन आज, आरती साज महाराजा घरे गावेऽ के गीत नवीन॥ महराज॥
मइया यशोदा, नंद भइलन आनन्द; सुखकन्द देखि परे ना नयना में नीन॥ महराज॥
ब्रह्मा महेश विष्णु गौरी गणेश शेषनाग, कइलन पावन आजुए के दिन॥ महराज॥
कहत ‘भिखारीदास’ लागल बा आस, खास कृष्णजी में, भजु मन राधे-गोविन्द॥ महराज॥