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भजन-कीर्तन: कृष्ण / 11 / भिखारी ठाकुर
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प्रसंग:
श्रीकृष्ण राम-कीर्त्तन।
राधेश्याम-राधेश्याम-राधेश्याम॥टेक॥
धरती के धन-धन-धन नन्द-धाम। ओहु से धन-धन नन्द-ग्राम।
नाच-बाज-विद्या के कुछ नइखे काम। केवल कन्हैया गोपालजी के नाम॥
बाँके बिहारी ललन घनश्याम। हरि-हरि होखत बा कीर्त्तन तमाम॥
नगद ना लागत बाएको छदाम। कहत ‘भिखारी’ नाई भजऽ आठो याम।