भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आरम्भ / रचना दीक्षित

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:55, 8 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रचना दीक्षित |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुना है
सदियों, सदियों, सदियों पहले
धरा पर कुछ था
तो था
विस्फोट, आग, धुआँ
तपिश और जलन
कहते हैं
शायद वही आरंभ था
जीवन का
आज भी
धरा पर कुछ है तो
विस्फोट, आग, धुआँ,
तपिश और जलन
कहीं ये फिर आरम्भ तो नहीं
किसी अंत का?