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हिदायत / बाजार में स्त्री / वीरेंद्र गोयल

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दायंे हाथ में छुरी
बायें हाथ में काँटा
नैपकिन गले में
पानी पीयें धीमे-से
खायें बगैर चपर-चपर के
हाथ धोयें नींबू-पानी से
बिल वहीं आने दें
आख्रिी और जरूरी हिदायत
कुछ खाना प्लेट में जरूर छोड़ें
ताकि ये न लगे
आपने प्लेट भी चाट ली
यही संस्कृति है
यही सलीका है

पर बात है ये अजीब
कुछ खाना क्यांे छोडे़?
क्या भूखों के लिए!
खँगालते हैं जो कूड़ेदान
या चींटियों के लिए
ढो पायेंगी जो इतना महीनों में
या तिलचट्टों के लिए
गटर में जाने के लिए

चाहे कोई बीनकर खाये
चाहे कोई छीनकर खाये
घोलकर पीता रहे माँड
सूप किसी भी चीज का
मगर आप कुछ खाना जरूर छोड़ें
ताकि पता लगे
आपने खाया है खाना
दूसरों के लिए छोड़ा एक दाना
आपके उपकार का
कैसे करंे बखान
माई-बाप आप महान
आपके दम पर
कुछ अपनी आग बुझाते हैं
जिंदा भी नहीं रहते
मर भी नहीं पाते हैं
आपके द्वार पर
कुत्ते की तरह पड़े
पूँछ हिलाते हैं
अपना नियम ना तोड़ें
कृपया कुछ खाना जरूर छोड़ें।