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दिल में जो कुछ मलाल रखते हैं / आलोक यादव
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दिल में जो कुछ मलाल रखते हैं 
लब पे वो कुछ  सवाल रखते हैं
जो हैं ख़ुद्दार वो हैं ख़ाली हाथ
जो है पाबोस<ref>पैर चूमने वाला /चाटुकार</ref> माल रखते हैं 
नौजवानों से मत करो तकरार 
ये लहू में उबाल रखते हैं 
मालो-ज़र<ref></ref> हो कि इज़्ज़तो - शोहरत 
सब उरुजो-ज़वाल<ref>उत्थान पतन</ref> रखते हैं
नेक औलाद इसलिए पाई
हम कमाई हलाल रखते हैं 
सच तो शायद कभी न हों लेकिन 
हम को वादे निहाल रखते हैं
सूर, तुलसी, कबीर और मीरा 
कब ये अपनी मिसाल रखते हैं 
और 'आलोक' अपने पास है क्या 
इक दिले-पायमाल<ref>पद्द्लित</ref> रखते हैं
शब्दार्थ
<references/> 
	
	

