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शहर / विमल गुरुङ
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दिक्दार लागिरहेछ
समाचारपत्र हेर्न बाहिर निस्कने सुरसारमा छु
आज दिनभरि कोठामै बसियो
पढियो
सुतियो
कोरियो सयौं पटक सलाई
धुम्धुम्ती आज कोठामै बसियो
एकान्तसंग मितेरी गाँस्न निकै सार्हो परिरहेछ
दिक्दार लागिरहेछ
कोहि छैन मित्र ।