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पर मैं अब वहाँ नहीं रहता / आनंद खत्री

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कुछ लोग,
मुझमें मुझको ढूँढने आते हैं,
पर मैं अब वहाँ
नहीं रहता।

दोस्ती, कशिश, वस्ल की
सराय हैं
इन्हीं में अदावत और रंजिश
के बिस्तरों पर सुस्ताकर
गुज़रता हूँ।

बेनाम-उम्र में मीलों तक
ढूँढता हूँ खुद को,
कभी मिल जाऊँ तुमको तो
बता देना।