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हाँ भूल चुकी तुम्हें / छवि निगम

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हाँ भूल चुकी हूँ तुम्हें
पूरी तरह से
वैसे ही
जैसे भूल जाया करते हैं बारहखड़ी
तेरह का पहाड़ा
जैसे पहली गुल्लक फूटने पर रोना
फिर मुस्काना
घुटनों पर आई पहली रगड़
गालों पे पहली लाली का आना
तितली के पंखों की हथेली पर छुअन
टिफिन के पराठों का अचार रसा स्वाद
वो पहली पहल शर्माना...
पर जाने क्यों
बेख़याली में कभी
दुआओं में मेरी
एक नाम चोरी से चला आता है चुपचाप
घुसपैठिया कहीं का!