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वक़्त समंदर / अमित कुमार मल्ल

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वक़्त
समन्दर बन
या सैलाब

लहरों के साथ
थपेड़े पर
उड़कर भी
नहीं डूबूंगा

लौटूँगा
तिनके की तरह
तैरने के लिए
अगले समन्दर पर