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दिल है बहुत / अमित कुमार मल्ल
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दिल है बहुत उदास
हो सके तो लौट आना
सह रहा हूँ कब से
चढ़े सूरज का ताप
तुम पुरवईया बन
हो सके तो लौट आना
पूरा हो ना सका सपना
सबकी दुनिया बसाने का
फिर भी यदि महसूस हो
हो सके तो लौट आना
चाहा था सितारों को लाकर
तेरे कदमो मे डालना
इतना भरोसा करो
हो सके तो लौट आना
दुनिया की रीत
मैं बदल नहीं सकता
सच्चाई की हार समझकर
हो सके तो लौट आना