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किवाड़ / अब्बास कियारोस्तमी / यादवेन्द्र
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आज मैं दिन भर
घर में रहूँगा
और
किसी के लिए
खोलूँगा नहीं
किवाड़
पर
मेरे मन के द्वार
खुले हुए हैं
पूरे के पूरे
दोस्तों के लिए
जो मुझसे
तीखी बहस में
उलझते हैं हमेशा
और अड़ियल
परिचितों के लिए भी ...
अँग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र