भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राग-विराग : छह / इंदुशेखर तत्पुरुष

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:48, 26 दिसम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अच्छा ही हुआ जो हमने
अलग होते समय
लौटाया नहीं परस्पर वह सामान
जो कर चुके थे अर्पित
एक-दूसरे के लिए
वर्ना, मैं तो कंगाल ही हो जाता शब्दशः

लेकिन यह भी तो हो सकता था अगर हम
लौटाने लगते सब-कुछ
ज्यों का त्यों
तो टल जाता एक बार फिर
विलग होने का निर्णय।